महर्षि दयानंद सरस्वती विद्यालय की दयानंद शोध पीठ द्वारा स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर संगीत सरिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया

महर्षि दयानंद सरस्वती विद्यालय की दयानंद शोध पीठ द्वारा आज स्वामी  दयानंद सरस्वती की  जयंती अवसर पर एक संगीत सरिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर.पी. सिंह ने कहा कि स्वामी जी महान चिंतक समाज सुधारक थे, वह नारी शिक्षा के साथ-साथ दलित उत्थान के पुरोधा पुरुष भी रहे हैं। प्रोफ़ेसर सिंह ने यह भी कहा कि स्वामी जी ने वेदों को प्रमाणिकता के साथ विश्व में प्रचार प्रसार किया और वे स्वराज के भी संस्थापक रहे उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी दयानंद ने कुरीतियों, आडंबरो व पाखंड से मुक्त एक नए स्वर्णिम समाज की स्थापना के उद्देश्य हेतु आर्य समाज की स्थापना की।
प्रो. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय की शोध पीठ  जल्दी ही आर्य समाज के साथ मिलकर स्वामी जी की शिक्षाओं को विधार्थियो  में प्रसारित करेगी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुमेरपुर से आएं आर्य समाजी केशव देव शर्मा ने कहा कि व्यक्ति भौतिक संसाधनों के संधारण में मानवता को छोड़ता जा रहा है, उसमें परोपकार की भावना न्यून होती जा रही है ।उन्होंने कहा आर्य समाज प्राणी मात्र के कल्याण को समर्पित समाज है और वसुदेव कुटुंब की भावना के साथ कार्य करता है । उन्होंने  मूलशंकर से स्वामी दयानन्द सरस्वती बनने  की जीवनयात्रा की विभिन्न घटनाओ का उल्लेख भी किया तथा तेरी जयश्री दयानन्द..., धरती चमकाई ले कर किरण गुजरात से ....जैसे भजन भी प्रस्तुत किये।
भजन गायक डॉ रजनीश चारण ने कमल नयनम...., मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तिहारे आउ....,ॐ भुर्वबुवस्य   ततस्तवितुरैनुम .... भजन गाये।
  शोध पीठ के निदेशक प्रोफेसर प्रवीण माथुर ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवा पीढ़ी  को स्वामी जी की शिक्षाओं से प्रेरित करना है।  संचालन प्रोफेसर रितु माथुर ने किया इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर केसी शर्मा, प्रोफेसर अरविंद पारीक, प्रोफ़ेसर सुभाष चंद्र, प्रो भारती जैन, प्रो अरविंद पारीक, डॉक्टर लारा शर्मा डॉक्टर असीम जयंती, डॉ. राजू शर्मा, डॉ पूनम पांडे सहित विश्वविद्यालय के कर्मचारी विद्यार्थी उपस्थित रहे ।


उक्त जानकारी डॉ.राजू शर्मा मीडिया प्रभारी द्वारा दी गई।